Sunday, October 9, 2016

उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई?


  1.      विश्व प्रसिद्ध "मोनालिसा' को चित्रित करने वाले इटली के विख्यात चित्रकार लियोनार्दो द विंची को कौन नहीं जानता। एक बार वे अपनी एक और चर्चित पेंटिंग "द लास्ट सपर' या "अंतिम भोज' की तैयारी में लगे थे। इस पेंटिंग में उन्हें ईसा मसीह के जीवन का वह दृश्य चित्रित करना था जिसमें कि वे अपने 12 शिष्यों के साथ अपना अंतिम भोज करते हुए दिखाई दें। इस पेंटिंग के लिए उन्हें ऐसे चेहरों की तलाश थी जिन्हें देखकर लगे कि वे सभी ऐसे ही रहे होंगे।
         उन्होने तलाश शुरु की। सबसे पहले उन्होने यीशु के लिए सैंकड़ों मॉडल का साक्षात्कार लिया। इसके लिए उन्हें ऐसे चेहरे की तलाश थी, जो देखने पर मन में साक्षात ईश्वरत्व का भाव पैदा करता हो, जो बेदाग व अत्यंत मनमोहक हो। बहुत परिश्रम के बाद वे अंततः ऐसा चेहरा ढूँढने में कामयाब हो ही गए। उन्हें 19 वर्षीय पियोत्रा के चेहरे में यीशु-नज़र आए और उन्होने उसे सामने बैठाकर पेंटिंग बनानी शुरु कर दी। इस महत्वपूर्ण पात्र को चित्रित करने में विंची को छह माह लगे। इसके बाद उन्होने मेहनताना देकर उसे विदा कर दिया। अब वे यीशु के शिष्यों को चित्रित करने लगे।
         एक शिष्य को छोड़कर बाकी 11शिष्यों को चित्रित करने में उन्हें छह वर्ष लग गए। अंत में बारी थी "जूडस' की। यानी वो शख्स जिसकी धोखेबाजी से यीशु को सूली पर चढ़ना पड़ा। इस पात्र के लिए विंची को एक क्रूर, निर्दयी, अपराधी, विश्वासघाती, दुष्ट व्यक्ति के चेहरे की तलाश थी। इसके लिए वे जगह-जगह भटके। अंत में रोम की एक जेल में मृत्युदंड की सजा पा चुके एक अपराधी का चेहरा विंची को जूडस को उपयुक्त लगा। उन्होने रोम के सम्राट से उसकी सजा कुछ समय आगे बढ़ाने का निवेदन किया ताकि वे अपनी पेंटिंग पूरी कर सकें। उनके जैसे कलाकार की बात सम्राट टाल न पाए और उन्हें अनुमति मिल गई।
         विंची उस अपराधी को रोज़ घंटों सामने बैठाकर अपनी पेंटिंग पूरी करने लगे। महीनों बाद पेंटिंग पूरी होने पर उन्होने अपराधी की चौकसी में लगे सिपाहियों से कहा-मेरा काम खत्म  हुआ। अब तुम इसे वापस ले जा सकते हो। इस पर जैसे ही सिपाही अपराधी की ओर बढ़े, वह तेज़ी से उठा और विंची के पैरों में गिरकर गिड़गिड़ाने लगा-"ओ विंची! मुझे इन लोगोंं से बचाओ। पहचानों, मैं कौन हूँ। कहते हैं कलाकार तो एक झलक में आदमी को पहचान लेता है, फिर तुम धोखा कैसे खा सकते हो? उसकी बातें विंची को समझ में नहीं आई। वे उसे झिड़कते हुए बोले- दूर रह, तुम खूनी हो। मैं तुम्हें कैसे जान सकता हूँ। इस पर अपराधी बोला-हे भगवान क्या मेरे कर्मों के साथ मेरा चेहरा भी बदल गया है? ध्यान से देखो विंची, तुम मुझे ज़रूर पहचान लोगे। इसके बाद भी जब विंची उसे नहीं पहचान पाए तो वह बोला- विंची, मैं वही मॉडल हूँ जिसके साथ छह साल पहले तुमने यीशु का चित्र बनाया था। विंची ने आश्चर्य से उसकी ओर देखा। वह फिर बोला- हाँ, मैं वहीं हूँ।
         साथियो, यह एक सत्य घटना है। यह घटना हमें बताती है कि मनुष्य के कर्म ही उसके व्यक्तित्व की पहचान होते हैं। जब कर्म श्रेष्ठ हों और व्यक्ति सद्गुणों की खान हो तो उसका चेहरा भी दमकता है। लोग ऐसे चेहरों की ओर खिंचे चले आते हैं। लेकिन जब वही सद्कर्म दुष्कर्म में बदलते हैं तो सद्गुणों की जगह अवगुण ले लेते हैं। तब व्यक्ति के व्यक्तित्व व चरित्र में आए बदलाव का असर उसके चेहरे पर भी पड़ता है और वह कांतिहीन नज़र आने लगता है, क्योंकि उसके चेहरे का पानी उतर गया होता है। ऐसे चेहरे को लोग दूर से ही सलाम करते हैं।
         लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसा संभव है कि एक ही व्यक्ति के चेहरे में इतना अंतर आ जाए कि विंची जैसा कलाकार भी उसे न पहचान पाए। और यदि वह संभव है तो कैसे? तो हम कहेंगे कि हाँ, यह बिलकुल संभव है। बड़ी ही सामान्य-सी बात  है कि व्यक्ति के चेहरे पर आभा के होने या न होने का संबंध उस पर चढ़े लज्जा के आवरण से है। जब व्यक्ति अपने चेहरे पर लज्जा का आवरण ओढ़े रहता है तो उसका चेहरा दमकता है और जब यह आवरण उतर जाता है यानी जब व्यक्ति लज्जा खो देता है तो उसका चेहरा निश्चित ही बदल जाता है। कहते भी हैं कि जब मनुष्य लज्जा त्याग देता है तो वह अपनी सुंदरता का सबसे बड़ा आक्रषण खो देता है। इसके बाद व्यक्ति बेशर्म हो जाता है क्योंकि जब शर्म ही चली जाएगी तो फिर शेष क्या रह जाता है। इसके बाद तो फिर व्यक्ति अपने कर्मों से निरंतर पतन की गर्त में गिरता चला जाता है। फिर न तो उसे अपनी परवाह होती है और न समाज की। ऐसे निर्लज्ज लोगों का कोई कुछ नहीं कर पाता। कहते हैं न कि उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई?
         इसलिये यदि हम चाहते हैं कि हमारा भी चेहरा हमेशा कांतिवान व आकर्षक बना रहे तो हमें अपने चेहरे व व्यक्तित्व दोनों से ही लज्जा का आवरण नहीं उतरने देना चाहिए। यही हमारे चेहरे का वास्तविक एवं सर्वोत्तम आभूषण होता है। जब आपके चेहरे पर यह आभूषण होगा तो लोग आपकी ओर खिंचे चले आएंगे यानी आप लोगों के प्रिय बने रहेंगे। जब लोगों के प्रिय रहेगें तो फिर सफल भी बनेगे ही।

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