Saturday, October 1, 2016

सफलता के लिए ज़रूरी है संघर्ष


     व्यावहारिक ज्ञान की कक्षा में एक शिक्षक अपने छात्रों को समझा रहे थे कि जीवन में संघर्ष करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि बिना संघर्ष के सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती। इसलिए हमें कभी संघर्ष करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। साथ ही यह प्रयास करें कि संघर्ष के दौरान किसी की मदद न लेनी पड़े। क्योंकि मदद लेने वाला हमेशा दूसरों पर आश्रित हो जाता है। और आश्रित व्यक्ति का अपना कोई वजूद नहीं होता। अतः हम अपने प्रयत्नों से ही सफलता हासिल करना सीखें। इस पर एक छात्र बोला-सर, आप कह रहे हैं कि सफलता के लिए किसी का सहारा मत लो। लेकिन इसमें मुझे तो कोई बुराई नज़र नहीं आती। आखिर सफलता तो सफलता है। शिक्षक बोले-नहीं, ऐसा नहीं है। संघर्ष क्यों ज़रूरी है, यह मैं तुम्हें कल समझाऊँगा।
     अगले दिन शिक्षक अपने साथ तितली के दो कोकून लेकर आए। वे बोले-बच्चों, कुछ समय बाद इन दोनों कोकून में से तितलियाँ बाहर निकलेंगी। तब हम जानेंगे कि जीवन में संघर्ष का कितना महत्व है। छात्र उत्सुकता से कोकूनों पर नज़र गड़ाकर बैठ गए। कुछ समय बाद एक कोकून में हलचल शुरू हुई। तितली उसमें से निकलने के लिए छटपटाने लगी। वह पूरी शक्ति कोकून को तोड़ने का प्रयास कर रही थी। इतने में शिक्षक ने प्रश्न करने वाले छात्र से कहा कि तुम इसकी बाहर निकलने में सहायता नहीं करोगे? छात्र तो यही सोच रहा था, उसने तुरंत कोकून को हलके से तोड़ दिया। तितली बिना किसी संघर्ष के बाहर आ गई। और उड़ने की कोशिश करने लगी। लेकिन उसके पंख उसका साथ नहीं दे पा रहे थे। अंततः अनेक प्रयत्नों के बाद भी वह उड़ नहीं पाई। इस बीच दूसरे कोकून में भी हलचल शुरू हो चुकी थी। छात्र ने जैसे ही उसे तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो शिक्षक ने उसे रोक दया। और तितली ने बाहर आने के लिए काफी संघर्ष किया और वह सफल हो गई। उसके बाद उसने अपने पँख फड़फड़ाए और तुरंत ही खिड़की से बाहर निकलकर एक फूल पर जा बैठी।
     यही है जीवन में संघर्ष करने का फायदा। प्रकृति का नियम है कि कोकून से बाहर आने के दौरान किए गए संघर्ष से ही तितली के पँखों को मजबूती मिलती है और वह उड़ने के काबिल हो पाती है। यदि आप यह संघर्ष उससे छीन लोगे तो उसे एक तरह से अपाहिज ही बना दोगे। फिर वह फूल तक नहीं जा पाएगी। यानी एक बार संघर्ष के दौरान सहायता लेने की आदत पड़ गई तो फिर आप कुछ कर ही नहीं सकते और हमेशा आपको सहारे की ज़रूरत पड़ती रहेगी, अन्यथा आप कुछ नहीं कर पाएँगे और खत्म हो जाएँगे। यही उस तितली के साथ हुआ। शायद इसीलिए कहते हैं कि संघर्षों के बाद मिली सफलता ही अधिक टिकाऊ होती है। इसलिए आगे से संघर्ष के दौरान अपनों की सहायता करने से पहले सोच लें कि कहीं ऐसा कर आप उसे अपाहिज तो नहीं बना रहे हैं।
     प्रतिस्पर्धा के इस दौर में जब एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची हो तो यह बात और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। फिर हम आपकी बात करें या आपकी संस्था की। दोनों ही स्थितियों में संघर्ष ज़रूरी है। देखा गया है कि वे ही लोग जीवन में अधिक सफल होते हैं, जो संघर्षों के दौर से गुज़रे होते हैं। क्योंकि संघर्षों के दौरान उन्होने जीवन के हर रंग को देखा होता है, भोगा होता है। संघर्ष उन्हें न केवल कठिनाइयों से पार पाने में सहायता करता है बल्कि उन्हें ज़मीन से भी जोड़े रखने में सहायता करता है।
     यानी जिसने जगह-जगह की खाक छानी हो, जी-तोड़ मेहनत की हो, उसे सफल होने में कोई नहीं रोक सकता। क्योंकि उसने संघर्ष के दौरान अपने काम में आने वाली कठिनाइयों से निपटने में निपुणता जो हासलि कर ली होती है।

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