Wednesday, July 13, 2016

महत्वहीन भी हो सकता है महत्वपूर्ण


     एक गाँव में एक गरीब वृद्ध अपने इकलौते बेटे के साथ रहता था। उसके पास एक अरबी घोड़ा था। अपनी गरीबी के बावजूद वह उस घोड़े की बहुत देखभाल करता था। एक बार गाँव से होकर गुज़र रहे राजा को वह घोड़ा पसंद आ गया। उसने अपने मंत्री को सौदा करने के लिए वृद्ध के पास भेजा लेकिन वृद्ध ने उसे इनकार कर दिया।
     वृद्ध के दोस्तों को यह बात पता चलने पर वे उससे बोले-ऐसा मौका किस्मत वालों को ही मिलता है, लेकिन तू बड़ा बदकिस्मत निकला। तुझे ऊँचे दाम बताकर सौदा कर लेना था। इससे तेरी गरीबी हमेशा के लिए दूर हो जाती। आखिर यह घोड़ा तेरे क्या काम आएगा। उनकी बात सुनकर वृद्ध मुस्कराते हुए बोला-जल्दी नतीजे पर मत पहुंचो। बस देखते जाओ।
     बात आई गई हो गई। कुछ समय बाद एक दिन सुबह उठने पर वृद्ध को घोड़ा अपनी जगह पर नहीं मिला। बात फैली तो दोस्तों को उसे फिर बदकिस्मत ठहराने का मौका मिल गया। वृद्ध ने उन्हें फिर जल्दबाज़ी में नतीजे पर न पहुंचने की सलाह दी। दो दिन बाद घोड़ा घर वापस लौट आया। उसके साथ एक दर्जन ह्मष्ट-पुष्ट घोड़े थे, जो जंगल से उसके साथ आ गए थे। वृद्ध के दोस्त इस बार उसे किस्मत का धनी बताने लगे, क्योंकि अब वह उन घोड़ों को बेचकर खूब धन कमा सकता था। वृद्ध ने इस बार भी उन्हें धैर्य रखने को कहा। कुछ दिन बाद घोड़े से गिरकर वृद्ध के लड़के की एक टाँग टूट गई और वह लँगड़ा हो गया। दोस्त वृद्ध को सांत्वना देते हुए बोले-तू सही कहता था। हम नतीजे पर जल्दी पहुंच जाते हैं। तेरे बुढ़ापे का सहारा ही अपाहिज हो गया। वाकई तेरी किस्मत खराब है। वृद्ध ने एक बार फिर उन्हें अंतिम निर्णय लेने से बचने को कहा।
     कुछ समय बाद उनके राजा ने पड़ोसी देश पर आक्रमण कर दिया। राजा ने युद्ध के लिए राज्य के सभी युवकों को सेना में भर्ती करने का आदेश दे दिया। गाँव के सारे युवकों को भी युद्ध के लिए जाना पड़ा। उस वृद्ध का इकलौता बेटा अपाहिज होने के कारण वहीं रह गया। दोस्त फिर इकट्ठे हुए और वृद्ध से कहने लगे कि वाकई तू सही कहता था। तू किस्मत का धनी है। तेरा बेटा जैसा भी है, तेरे साथ तो है।
     दोस्तो, कहते हैं कि व्यक्ति को जल्द ही किसी नतीजे पर नहीं पहुँचना चाहिए। क्योंकि आज वे जिस बात को अंतिम मानकर चल रहे हैं, हो सकता है कल वह गलत साबित हो। इसी को कहते हैं किस्मत जो रोज नए रूप दिखाती है। आज जिस बात या घटना को बदकिस्मती माना जा रहा है, कल वही सौभाग्य के रूप में नज़र आ सकती है। इसलिए किसी भी स्थिति में यह मत सोचो कि जो कुछ होना था हो गया, अब कुछ नहीं हो सकता। नहीं, यह नकारात्मक नज़रिया है। और यही आपको मज़बूर करता है कि आप जल्दी ही अंतिम नतीजे पर पहुंच जाएँ। इसलिए सबसे पहले अपने नज़रियें को बदले, उसे सकारात्मक बनाएँ। तब आप परिस्थितयों को धूप-छाँव का खेल मानकर किसी भी विपरीत या अनुकूल स्थिति में अपना संतुलन बनाए रखेंगे।
     कहा भी गया है कि कुछ भी स्थायी नही होता। इसलिए यदि आपको लगता है कि परिस्थितियाँ आपका साथ नहीं दे रही हैं, आपको अपना सब कुछ लुटता-डूबता नज़र आता है, तो ऐसे में भी सकारात्मक रूख अपनाते हुए धैर्यपूर्वक अपना काम जारी रखें। कुछ समय के बाद आपको लगेगा कि आप बेकार ही परेशान हो रहे थे। आप जिस नतीजे पर पहुँचे थे, वह गलत था। आप जिस अच्छे दौर को बीता हुआ मान रहे थे, उससे अच्छा समय तो अब आया है। अब आप बहुत कुछ कर सकते हैं, करके दिखा सकते हैं।
     दूसरी ओर, कुछ लोग अपने मामले में तो धैर्य रखते हैं, लेकिन दूसरे के मामले में जल्दबाजी दिखाते हैं। ऐसें लोगो से हम कहना चाहेंगे कि हमेशा सोच-समझकर, हर पहलू पर विचार करके ही किसी निष्कर्ष पर पहुँचें। जैसै कोई व्यक्ति फीनिक्स पक्षी को राख बनते देख ले तो वह उसकी कहानी को खत्म हुआ मान लेगा, लेकिन वही पक्षी राख के ढेर से दोबारा पैदा होकर आसमान की ऊँचाईयाँ नापने लगता है। कहीं ऐसा न हो कि आज आप जिसे महत्वहीन या सर्वाधिक महत्वपूर्ण समझने लगे हैं। उसके बारे में कल आपको अपना निर्णय बदलना पड़े।
       चलिए बताइए, शीर्षक पढकर आप किस नतीजे पर पहुँचे, जल्दबाजी न करें। आराम से सोचें। इसमें दोनो ही स्थितियाँ छुपी हैं।

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