Friday, March 25, 2016

समझदार को इशारा ही काफी है


     शेखचिल्ली जब छोटा था तो उसकी माँ ने उससे कहा कि बेटा, बाज़ार जाकर अठन्नी का तेल ले आ। तेल लाने के लिए उन्होंने शेखचिल्ली के हाथ में एक गिलास और अठन्नी दे दी। शेखचिल्ली दुकान पर पहुँचा। और दुकानदार से बोला- लाला, अठन्नी का खाने का तेल दे दो। ऐसा कहकर उसने पैसे और गिलास लाला के हाथ में दे दिए। लाला ने गिलास में तेल भर दिया। लेकिन गिलास छोटा था इसलिए उसमें सिर्फ छह आने का तेल ही आया। दो आने का तेल बाकी रह गया। लाला ने शेखचिल्ली से कहा-साहबजादे, तुम्हारा गिलास तो सिर्फ छह आने के तेल में ही भर गया। अब बाकी के तेल का क्या करूँ। तुम्हारे दो आने बच गए हैं। बोलो, उनका क्या दूँ? शेखचिल्ली-अरे! दो आने बच गए। लाला-हाँ मियाँ, कहो तो इनका कुछ दे दूँ या फिर दो आने वापस ले जाओ। शेखचिल्ली-नहीं लाला, पैसे वापस ले जाऊँगा तो माँ मारेगी क्योंकि उसने तेल मँगाया है, पैसे नहीं। इस पर लाला बोला-तो फिर कुछ और चीज़ ले लो। शेखचिल्ली-नहीं, माँ ने सिर्फ तेल मँगाया है। वह भी पूरे आठ आने का। तो फिर दूसरा बर्तन लाए हो? लाला ने पूछा। शेखचिल्ली-नहीं, माँ ने तो इसी गिलास में लाने को कहा है। लाला चिढ़कर बोला-अरे बेटा, जल्दी बता क्या करना है? मेरे पास इतना समय नहीं है कि दो आने के लिए इतनी मगज़मारी करूँ। और भी ग्राहक खड़े हैं। शिखचिल्ली-गुस्सा न करो लाला, मैने उपाय सोच लिया है।
     इसके बाद शेखचिल्ली ने गिलास को उलट दिया, जिससे गिलास में भरा तेल लाला के कनस्तर में गिर गया। तब शेखचिल्ली बोला-देखो लाला, इस गिलास की पेंदी कितनी गहरी है। इसमें दो आने का तेल आ जाएगा। हो गया ना अपनी समस्या का हल। अब जल्दी भरो, माँ इंतज़ार करती होगी। बहुत समय हो चुका है। शेखचिल्ली की बेवकूफी पर लाला को बहुत आश्चर्य हुआ। लेकिन उसने सोचा कि इसमें अपना क्या जाता है। उसने बाकी बचा तेल गिलास की पेंदी में भर दिया, जिसे लेकर शेखचिल्ली बड़ी ही प्रसन्नता के साथ घर लौटा। माँ ने गिलास में थोड़ा-सा तेल देखा तो उससे पूछा-इतना-सा तेल ही लाया है, वह भी पेंदी में भरवाकर। लगता है लाला ने तुझे ठग लिया। आठ आने में तो गिलास भर के तेल आता है। शेखचिल्ली बोला-नहीं माँ, लाला ने ठगा नहीं है। बाकी का तेल तो इसी गिलास में है। माँ बोली-इसी गिलास में कहाँ है? इस पर शेखचिल्ली ने गिलास को सीधा कर दिया। इससे पेंदी में भरा तेल भी गिर गया। बाकी का तेल तो वह पहले ही उड़ेल आया था। बेटे की मूर्खता पर माँ ने अपना सिर पीट लिया और आसमान की ओर देखते हुए बोली-या खुदा, मैने तेरा क्या बिगाड़ा था जो तूने मुझे इतनी मूर्ख औलाद दी। इस पर शेखचिल्ली बोला-माँ, मैने कौन-सी मूर्खता की? एक तो छोटा गिलास दिया और आठ आने का तेल मँगवाया। मुझे यह भी नहीं बताया कि पैसे बच जाएँ तो उनका क्या करूँ। पहले खुद ही मुझे ठीक तरह से बताती नहीं हो, ऊपर से खुदा से शिकायत भी करती हो। शेखचिल्ली की बात सुनकर माँ उसका मुँह देखती रह गई। और वह कर भी क्या सकती थी।
     दोस्तो, यह है किसी को भी कोई भी बात पूरी तरह से न समझाने का नतीज़ा। अकसर हम किसी भी व्यक्ति को पूरी तरह से बात समझाए बिना ही काम पर लगा देते हैं। हम सोचते हैं कि उसे हमारी बात पूरी तरह से समझ में आ गई होगी। लेकिन यह हमारी गलतफहमी होती है। दरअसल उसे आधी-अधूरी बात ही समझ में आई होती है और उसके आधार पर ही वह काम करना शुरु कर देता है। फिर क्या है, होता वही है जो होना चाहिए। यानी काम बनने की बजाय बिगड़ जाता है। तब आप सिर पकड़कर बैठने के सिवाय कुछ नहीं कर पाते क्योंकि जो बँटाढार होना था, वह तो पहले ही हो चुका होता है।
     यदि आप ऐसी स्थिति से बचना चाहते हैं तो हमेशा किसी भी बात को समझाने से पहले यह देख लें कि समझने वाले का बौद्धिक स्तर क्या है। यदि वह समझदार है और आपकी बात को कम शब्दों में ही समझ लेता है तो उसे कम शब्दों में समझाना उचित है। लेकिन यदि व्यक्ति कम समझदार है तो उसे काम के बारे में पूरी जानकारी दें कि आप क्या चाहते हैं और कैसे चाहते हैं। बात बताने के बाद उससे एक बार पूछकर तसल्ली भी कर लें कि आप जो कहना चाहते हैं, वह समझा कि नहीं। इससे आप बाद की परेशानियों से बच जाएँगे। यही तरीका आपको अपने साथ जुड़ने वाले किसी भी नए आदमी के साथ अपनाना चाहिए, फिर भले ही वह कितना ही समझदार क्यों न हो। क्योंकि नए व्यक्ति को आपके व्यक्तित्व, आपकी बातों को समझने में समय लगेगा। जब वह समझने लगेगा तो फिर कहने की तो छोड़ो, वह इशारों में ही काम समझने लगेगा। वो कहते हैं न कि समझदार के लिए तो सिर्फ इशारा ही काफी होता है।
    यही कारण है कि हम हमेशा ऐसे लोगों के साथ काम करना पसंद करते हैं जो हमारी बातों को इशारों में ही समझकर काम कर दें, इसलिए यदि आप अपने अधिकारी या बॉस का विश्वास जीतना चाहते हैं तो उनके इशारों को समझना सीखें। यदि आपने इन्हें समझ लिया तो आप कभी शेखचिल्ली जैसी गलतियाँ करके सारा किया-धरा यूं ही मिट्टी में नहीं मिलवा देंगे। यानी कोई गलती नहीं करेंगे। आप अच्छी तरह समझ गए न कि हम क्या कहना चाहते हैं? अरे भाई, बातों कोे इशारों में समझना सीखो।

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