Saturday, March 12, 2016

आप हैं कब के? अब के या फिर तबके....।


     एक बार कुछ दरबारी अकबर से बोले कि "आप बीरबल को कुछ ज्यादा ही महत्व देते हैं, जबकि ऐसा कुछ नहीं है कि जो वे कर सकते हैं, हम नहीं। आप हमारी परीक्षा लेकर तो देखिए।' अकबर बोले-ठीक है। तो एक काम करो। मेरे सामने दो अबके ले आओ, दो तबके ले आओ और दो ऐसे ले आओ, जो न अबके हों न तबके।' उनकी बात दरबारियों की समझ में नहीं आई। उन्होने उसे दोहराने की गुजारिश की। अकबर ने दोबारा वही बात कह दी, लेकिन बात इस बार भी सभी के सिर के ऊपर से निकल गई। सभी चुप हो गए। इस बीच बीरबल भी वहाँ आ गए। उन्होने अकबर से वहाँ पसरे सन्नाटे का कारण पूछा तो अकबर ने उन्हें सारी बात बताकर उनसे भी वही लाने को कहा। इस पर बीरबल बोले-"जी हुज़ूर, मैं कल आपके सामने सबके सब ला दूँगा।'
     अगले दिन सुबह बीरबल यमुना तट पर पहुँचे। वहाँ कई राजाओं के तम्बू लगे थे। कुछ साधु भी धूनी रमाए जप-तप में लीन थे। उन्होने दो राजाओं और दो साधुओं को यह कहकर अपने साथ ले लिया कि बादशाह उनसे मिलना चाहते हैं। इसके बाद उन्होने शहर से दो व्यापारियों को भी साथ ले लिया। वे उन सभी को साथ लेकर दरबार में पहुँचे। उन्हें देखते ही अकबर बोले। "क्या हुआ बीरबल? आज तो तुम सबके सब लाने वाले थे।' बीरबल ने कहा, हाँ, मैं वह अपने साथ ही लाया हूँ। ये जो दो राजा हैं, ये ही दो अबके हैं। पिछले जन्मों के पुण्यों का फल ये इस जन्म में भोग रहे हैं। ये दो साधू आज जो जप-तप कर रहे हैं, कष्ट सह रहे हैं, उसका सुख इन्हें आगे मिलेगा। इसलिए ये तबके हैं। और ये दो व्यापारी न अबके हैं न तबके हैं। इन्होने न पहले कुछ अच्छा किया और न अब कर रहे हैं। हमेशाा माया के पीछे भागने वाले इन व्यापारियों को न आज सच्चा सुख है और न कल होगा।' बीरबल की बात सुनकर अकबर फूले नहीं समाए।
     दोस्तो, बीरबल ने तो अकबर की पहेली को हल कर दिया, लेकिन क्या आप खुद को बता सकते हैं कि आप कबके हैं? अबके हैं या तबके हैं या फिर न अबके हैं और न तबके। कठिन सवाल है न। चलिए सोचिए, तब तक हम आगे बढ़ते हैं। सबसे पहले हम बात करेंगे अबके की। अबके माने वे लोग, जिन्होने पहले खूब मेहनत और संघर्ष कर एक मुकाम हासिल किया और आज उस मेहनत के फल का आनंद ले रहे हैं। यानी भूतकाल के परिश्रम से इनका वर्तमान सुधरा है। इन्हें हक है कि ये अपना वर्तमान के सुखों को भोगें। लेकिन इनसे हमारा कहना है कि आज सुख है तो कल दुःख भी आ सकता है इसलिए आज के आनंद में कल को न भूल जाएँ। यदि आप हमेशा ही अबके बने रहना चाहते हैं तो कभी भी अपनी कामयाबी का नशा अपने सिर पर मत चढ़ने देना वरना आप अबके बने नहीं रहेंगे, सिर्फ अबके बनकर ही रह जाएँगे। आज जो लोग आपको अबका मानकर आगे-पीछे घूमते हैं, वे बाद में मिलेंगे तो कहेंगे कि अब इनको कौन पूछे। ये अबके नहीं, ये तो तबके थे।
     दूसरी ओर, जो तबके हैं यानी जो आज संघर्षों के दौर से गुज़र रहे हैं, लक्ष्य प्राप्ति में पूरी लगन से लगे हैं, जो वर्तमान में तकलीफें उठा रहे हैं ताकि उनका भविष्य सुधरे, ऐसे लोगों से हम कहेंगे कि भैया, बिना हिम्मत हारे लगे रहो। और इस तबके को अबके में बदल दो। यानी जो आज आपके अंदर भविष्य की संभावनाएँ देख रहे हैं, उन्हें बता दो कि वे सही थे और बाद में लोग कहें कि ये अबके हैं। यहाँ हम आपको भी यही सलाह देंगे कि लोग भले ही आपको बाद में अबके कहने लगें, लेकिन आप अपने अंदर तबके के चरित्र को हमेशा बनाए रखना। तभी आप आगे चलकर लगातार अबके बनकर रह पाएँगे। जो न अबके हैं और न तबके यानी ऐसे लोग जिन्होने न पहले संघर्ष किया और न अब कर रहे हैं तो ऐसे लोगों का न भूत था, न वर्तमान है और न भविष्य होगा। ऐसे लोगों के बारे में तो बात करना बेमानी है और कोई करता भी नहीं। यदि ये चाहें कि इन्हें भी पूछा जाए, इनके बारे में भी बात की जाए तो इन्हें अपने हाथ-पैर मारने होंगे और सबसे पहले तबके बनकर दिखाना होगा, तभी ये अबके बन पाएँगे।
     अंत में, हमें उम्मींद है कि आप अब तक यह जवाब खोज चुके होंगे कि आप कबके हैं और यह भी ठान चुके होंगे कि यदि आप अबके नहीं हैं तो ज़रूर बनकर दिखाएँगे।

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