Monday, February 15, 2016

इसीलिए तो वे वहाँ हैं, जहाँ पर वे हैं


     एक राजा की सवारी को देखने के लिए रास्ते के दोनों तरफ जमा लोगों में एक अंधा फकीर भी था। सवारी से पहले गश्त लगाते हुए सिपाही आए, जो रास्ता खाली करवा रहे थे ताकि सवारी बिना अवरोध के आगे बढ़ जाए। सिपाही लोगों पर रौब जमाने के लिए बिना कारण ही डंडे घुमा रहे थे। फकीर भीड़ में थोड़ा आगे खड़ा था। एक सिपाही ने उसे देखकर गाली बकना शुरू कर दिया। जब फकीर की समझ में नहीं आया तो सिपाही ने उस पर डंडे बरसाते हुए कहा- "पीछे हट अंधे! मनहूस बनकर खड़ा है सबसे आगे।' फकीर पीछे हट गया और धीरे से बोला- "इसीलिए तो....। जब सिपाही चले गए तो वह धीरे से फिर से आगे सरक आया। तभी राजा के घुड़सवार वहाँ से गुजरे। उन्होने भी फकीर को भला-बुरा कहा। फकीर पीछे होते हुए फिर से बोला- "इसीलिए तो....। लेकिन जैसे ही घुड़सवार आगे बढ़े, फकीर फिर आगे आ गया। अब बारी थी राजा के मंत्रियों के आने की। फकीर को देखकर एक मंत्री बोला- "फकीर बाबा, राजा की सवारी आ रही है। कृपया थोड़ा-सा पीछे हटके खड़े हो जाइए। इससे न आपको असुविधा होगी, न हमें।' फकीर धीरे से फिर पीछे चला गया। लेकिन पीछे हटते-हटते बोला-इसीलिए तो....।
     अंत में राजा की सवारी आ गई। राजा के आने की आहट पाकर फकीर आगे आ गया। इतने में धक्का-मुक्की होने लगी। वह फकीर नीचे गिर पड़ा। उसे गिरते हुए राजा ने देख लिया। वह तुरंत सवारी से उतरा और खुद ही फकीर को उठाकर बोला-"आपको चोट तो नहीं आई बाबा।' फकीर ने कहा-नहीं बेटा। इसके बाद राजा फकीर से आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ गया। उसके जाने के बाद फकीर बोला- "इसीलिये तो....।
     फकीर के पास कुछ लोग खड़े थे। उन्हें उसके द्वारा बार-बार "इसीलिए तो' कहने का मतलब समझ में नहीं आ रहा था। एक व्यक्ति ने फकीर से इसका मतलब पूछा तो वह बोला- इसका मतलब है कि व्यक्ति का व्यवहार और चरित्र उसकी योग्यता और क्षमता के अनुसार ही होता है। वह सिपाही इसलिए ही सिपाही है क्योंकि उसका व्यवहार सिपाही की तरह अक्खड़ है। यही बात घुड़सवार मंत्री और राजा पर भी लागू होती है। सभी अपनी-अपनी जगह पर अपने व्यवहार के कारण ही पहुँचे हैं। इसीलिए तो वे वहाँ हैं, जहाँ पर वे हैं।
     दोस्तो, सही कहा उस फकीर ने। व्यक्ति को उसका चरित्र और व्यवहार ही ऊँचाइयों पर ले जाता है। क्योंकि यदि किसी व्यक्ति का चरित्र और व्यवहार अच्छा है, तो फिर उसके विरोधी नहीं होते या नगण्य ही होते हैं। जब अधिकतर उसके पक्ष में होंगे तो वह व्यक्ति उनके सहयोग से आगे बढ़ता ही चला जाएगा। इसके विपरीत यदि व्यवहार अच्छा नहीं होगा तो वह जहाँ है, वहीं बना रहेगा। इसका कारण यह है कि व्यक्ति का चरित्र उसका व्यवहार उसकी योग्यताओं और क्षमताओं का आईना होता है। योग्यता व्यक्ति को व्यवहारकुशल बनाती है। यदि व्यक्ति के अंदर योग्यता है तो वह उसके व्यवहार में झलकेगी। और किसी से छिपी नहीं रहेगी। तब उसे वह सब हासिल होता जाएगा जिसकी उसने तमन्ना की होगी। इसलिए आज आपको भले ही आपकी क्षमता से कम मिल रहा हो, लेकिन यदि आप बिना धैर्य खोए अपना व्यवहार अच्छा बनाए रखेंगे तो आपका व्यवहार आपको वहाँ तक पहुँचा देगा, जहाँ तक पहुँचने के लिए आप बने हैं।
     दूसरी ओर, कई बार आदमी के अंदर योग्यता तो होती है, लेकिन वह उसके व्यवहार में नहीं झलकती। दरअसल, वह अपने आपको बड़ा मानकर उल्टा व्यवहार करने लगता है। वह यह नहीं समझता कि आदमी जितना ऊँचा उठता जाता है, उतना ही शालीन होता जाता है या यूँ कहें कि उसे शालीन होना पड़ता है। कहा भी गया है कि जितना कुलीन, उतना शालीन। क्योंकि यदि बड़ा बनकर वह शालीन नहीं होगा, व्यवहारकुशल नहीं होगा, दूसरों को छोटा समझेगा, तो फिर दूसरे भी उसे छोटा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे यानी उसका सम्मान करना बंद कर देंगे। इसलिए व्यक्ति को पद की गरिमा के अनुरूप ही व्यवहार करना चाहिए। तभी तो लोग कहेंगे कि सही आदमी, सही जगह पर बैठा है। यदि आप लोगों के मुँह से अपने लिए यह सुनना चाहते हैं तो पद के बढ़ने के साथ व्यवहार में शालीनता भी बढ़ाएं ताकि आप जिस ऊँचाई पर खड़े हैं उससे भी अधिक ऊँचाई पर जाएँ।

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