Saturday, February 13, 2016

भला करने में थोड़ा झूठ चलता है


     एक बार अकबर अपने महल में टहल रहे थे कि अचानक उनकी नज़र एक दीवार पर पड़ी। दीवार पर एक जगह पुताई का चूना गिर गया था और वह भद्दी लग रही थी। अकबर ने एक नौकर को बुलाकर वहाँ चूना लगाने का आदेश दिया। नौकर चूना लगाना भूल गया। अगले दिन जब अकबर वहाँ से गुज़रे तो यह देखकर गुस्से से भर उठे। नौकर को जब बुलाया गया तो वह अपनी भूल पर माँफी माँगने लगा। अकबर बोले-अब फौरन जाकर एक सेर चूना ले आओ। नौकर चूना लाने के लिए दौड़ा। रास्ते में बीरबल मिल गए। उन्होने नौकर को घबराहट में देख इसका कारण पूछा। नौकर ने सारी बात बता दी। बीरबल बोले-चलो मैं तुम्हें चूना देता हूँ। इसके बाद बीरबल उसे अपने घर ले गए और उसे चूने से भरे दो दोने देते हुए बोले-अगर जहाँ पनाह तुम्हें चूना खाने को कहें तो तुम पहले लाल दोने में से खाना।
     जब नौकर चूना लेकर अकबर के पास पहुँचा तो उन्होने वही किया। जिसका बीरबल को अंदेशा था। वे बोले-तुम इस चूने को खाओ। नौकर घबरा गया। लेकिन यदि हुक्म नहीं मानता तो मारा जाता। इसलिए उसने चूना लाल दोने में से खाना शुरु कर दिया। जब वह बहुत सारा चूना खा गया तो अकबर ने यह सोचकर उसे रोक दिया कि और ज़्यादा खाने से कहीं उसकी हालत न बिगड़ जाए। अगले दिन नौकर को ठीक-ठाक  देखकर वे हैरान रह गए। उन्होने सोचा-इसका हाज़मा तो बड़ा तगड़ा है। उन्होने उससे फिर एक सेर चूना मँगाया। नौकर बीरबल के पास पहुँचा और दो दोने चूना लेकर लौटा। अकबर ने उसे सारा चूना खाने को कहा। उसने दोनों दोने खाली कर दिए और अपने काम में लग गया। उसे देखकर अकबर की हैरानी और बढ़ गई। उन्होने उसे बुलाकर पूछा कि यह चूना तुम कहाँ से लाए थे? नौकर ने उन्हें सारी बात बता दी। अकबर को यकीन हो गया कि बीरबल ने उनकी मंशा भाँप ली होगी कि वे नौकर को सजा देना चाहते हैं और उससे चूना खाने को कहेंगे। इसीलिए बीरबल ने कोई न कोई चतुराई की होगी, वरना इतना चूना एक साथ खाने वाला बच नहीं सकता। उन्होने खाली दोने मँगाकर जाँच की। उन्हें चूने की चिकनाई देखकर समझ में आ गया कि दोने चूने से नहीं मक्खन से भरे थे। दोस्तो, देखा आपने। बीरबल ने किस तरह अकबर को चूना लगाकर यानी बुद्धू बनाकर उस नौकर को बचा लिया। ऐसे चूना लगाने को गलत नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसमें किसी दूसरे का हित छिपा हुआ है। यदि आप भी किसी अच्छी भावना से सामने वाले को चूना लगाकर उसे गलती करने से रोकते हैं तो वह आप पर नाराज़ नहीं होगा, बल्कि नाज़ ही करेगा। इसके विपरीत यदि आप दूषित भावना से चूना लगाएँगे तो उसका अंजाम आपको ही भुगतना पड़ेगा।
     दूसरी ओर, बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिन्होने दूसरों को चूना लगा-लगाकर यानी धोखा दे-देकर अपनी तिजोरियाँ भरी हैं। ये लोग ऐसा करके जो मक्खन खा रहे हैं, वह वास्तव में किसी और के हिस्से का था। ऐसे लोगों की मानसिकता होती है कि ये अकसर अपने घरों पर चूना नहीं लगवाते यानी पुताई नहीं करवाते। ये ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वे लोग जिनको इन्होने चूना लगाया है, कहीं इनसे अपना हिसाब-किताब न करने बैठ जाएँ। ऐसे लोगों से हम कहना चाहेंगे कि अपनी इस आदत को बदल दें, क्योंकि जब आप चूना लगाएँगे तो यह अपना काटने का धर्म निभाएगा। यह अंदर से आपको भयग्रस्त कर आपकी ऊर्जा को काटेगा और बाहर से आपको लोगों से काटेगा, क्योंकि जब लोगों को यह पता लगेगा कि आप धोखेबाज़ हैं, तो वे आपसे दूर रहना ही श्रेष्ठ समझेंगे। इसलिए बेहतर यही है कि किसी को चूना न लगाया जाए।
     आप सभी अपने-अपने घरों पर चूना लगाते होंगे। वैसे चूना लगाने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि इससे तो घर की साफ-सफाई होती है। साफ-सुथरा घर मन को शांति देता है, जिससे आपकी कार्यक्षमता बढ़ती है। और जब कार्यक्षमता बढ़ेगी तो निश्चित ही आपकी कमाई दूनी होगी यानी आपकी आमदनी बढ़ेगी। इसीलिए कहते भी हैं कि लक्ष्मी उसी घर में आती है जो साफ-सुथरा, लीपा-पुता हो। तो फिर आप कब शुरू कर रहे हैं अपने घर में चूना लगवाना। नहीं तो लोग समझेंगे कि आप भी.....। अरे भाई, हम तो मज़ाक कर रहे हैं।

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