Wednesday, January 27, 2016

धूल में मिला सकती है छोटी-सी भूल


     एक पौराणिक कथा है। एक बलशाली किन्तु मूर्ख असुर था भस्मासुर। वह शिव का उपासक था। एक बार उसने अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए जंगल में जाकर शिव की कठोर तपस्या की। बहुत समय बाद भी जब शिव प्रकट नहीं हुए तो उसने अपने शरीर का मांस काट-काट कर शिव को चढ़ाना शुरु कर दिया। लेकिन शिव फिर भी प्रकट नहीं हुए। तब एक दिन उसने अपना शीश शिव को अर्पित करने का निश्चय किया। जब वह ऐसा करने ही जा रहा था कि शिव वहाँ प्रकट होकर उससे बोले-रुको, भस्मासुर! तुम्हें अपना शीश अर्पित करने की आवश्यकता नहीं। मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूँ। माँगो, तुम्हे क्या वरदान चाहिए। इस पर भस्मासुर बोला-महादेव! आप मुझे यह वरदान दें कि मैं जिस किसी भी प्राणी के सिर पर भी हाथ रख दूँ वह तुरन्त भस्म हो जाए।
     शिव बोले-तथास्तु! इसके पहले कि वे अन्तर्धान होते भस्मासुर आगे बढ़कर उनके ही सिर पर हाथ रखने लगा। वे उसकी मंशा को भाँपकर वहाँ से अपनी जान बचाकर भागे। भस्मासुर भी उनके पीछे भागा। शिव जहाँ भी जाएँ, वह भी वहाँ पहुँच जाए। अंततः वे सहायता माँगने के लिए विष्णु के पास पहुँचे। उन्हें सारी घटना के बारे में बताकर शिव बोले-मुझसे भूल हो गई, जो मैं उस कृतघ्न असुर को वर दे बैठा। अब आप ही मुझे उससे बचा सकते हैं। इस पर विष्णु बोले- आप चिंतित न हों। उस दुष्ट को मैं देख लूँगा। इस बीच भस्मासुर शिव को खोज रहा था। तभी राह में उसे एक सुंदर स्त्री मिली। भस्मासुर को भागते देख उसने पूछा- हे असुर! आप किसकी खोज में भागे जा रहे हो? लगता है कि बहुत थक गए हो। कुछ देर ठहरकर यहाँ विराम कर लो। जब आराम मिल जाए तो पुनः खोजने निकल पड़ना। उसकी मनमोहिनी बातें और अदाओं पर मोहित होकर भस्मासुर ठहर गया। मोहिनी को सारी बात बताकर वह बोला-मुझे समझ में नहीं आ रहा कि महादेव मुझसे बचकर क्यों भाग रहे हैं? मोहिनी बोली-जिससे कि तुम्हें उनके छल का पता न चल सके। इस पर भस्मासुर आश्चर्य से बोला-कैसा छल, क्या शिव अपने भक्त को छल सकते हैं? मुझे विश्वास नहीं होता। मोहिनी बोली- फिर वे तुमसे बचकर क्योंं भाग रहे हैं? उन्होने निश्चित ही झूठा वरदान देकर तुम्हें छला है। यदि तुम्हें मेरी बात का विश्वास नहीं तो अपने सिर पर हाथ रखकर देख लो।
     भस्मासुर मोहिनी की चतुराई को नहीं समझ पाया और बोला-हाँ, यह तरीका ठीक है। ऐसा कहकर उसने अपने सिर पर हाथ रख लिया। हाथ रखते ही वह तुरंत भस्म हो गया। इसके बाद मोहिनी रूपधारी विष्णु अपने असली स्वरुप में आ गए। तभी शिव वहीं प्रकट हुए और अनजाने में हुई अपनी भूल को सुधारने के लिए उन्होने विष्णु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। भस्मासुर की यह कथा हमने अलग-अलग रूपों में पढ़-सुन रखी है, लेकिन यहाँ बात कथा के रूप की नहीं बल्कि उसके भाव की है। यह कथा हमें सीख देती  है कि हमको किसी अयोग्य व्यक्ति को भूल से भी ऐसी शक्ति नहीं देनी चाहिए, जिसका कि वह अधिकारी न हो। क्योंकि उस शक्ति का सदुपयोग न कर पाने के वजह से वह  एक दिन अपने साथ ही हमें भी नुकसान पहुँचा सकता है। यानी वह अपनी छवि के साथ हमारी छवि को भी धूमिल कर सकता है।

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