Wednesday, January 20, 2016

माँस काटकर दोगे तभी बचेगा कबूतर


     महाप्रतापी एवं धर्मपरायण राजा शिबि एक दिन यज्ञ कर रहे थे कि तभी एक डरा-सहमा कबूतर उनकी जाँघ पर आकर बैठ गया और उनसे बोला-"राजन्! मैं आपकी शरण में हूँ। मेरी रक्षा कीजिए।' शिबि बोले-घबराओ मत। मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा। लेकिन तुम्हारे पीछे कौन पड़ा है? तभी एक बाज शिबि के सामने आकर बैठ गया। वह बोला-महाराज, यह मेरा शिकार है। इसे मुझे सौंप दें। राजा शिबि ने कहा, नहीं, इस कमजोर प्राणी की रक्षा करना मेरा धर्म है। बाज ने कहा। तो महाराज, मैं भी आपकी शरण में हूँ और बहुत भूखा हूँ। यदि मैं कुछ नहीं खाऊँगा तो मर जाऊँगा। मैं मरा तो मेरी पत्नी और बच्चे अनाथ हो जाएँगे। मैं आपसे रक्षा की गुहार लगाता हूँ। तभी कबूतर बोला-राजन्! भगवान के लिए आप मुझे इसे मत सौंपना। शिबि ने उसे आश्वस्त किया और बाज से बोले- तुम्हें भूखा नहीं मरना पड़ेगा। इसकी जगह तुम भोजन के लिए जो जानवर चाहो, ले सकते हो। बाज बोला-मैं उन्हें लेकर क्या करूँगा? कबूतर ही मेरा भोजन है। इसलिए इसे मुझे दे दें। शिबि बोले-भले ही मेरा राजपाट चला जाए, लेकिन मैं इसे नहीं दूँगा। राजा के दृढ़निश्चय को देखकर बाज बोला-तो ठीक है। यदि आपको यह इतना प्रिय है तो आप अपनी दाहिनी जाँघ से इसके वजन के बराबर मांस काटकर दे दें। मेरा काम हो जाएगा। शिबि तुरंत उसकी बात मान गए।
     इसके बाद एक तराजू मँगाया गया जिसके एक पलड़े पर कबूतर को बिठा दिया गया और दूसरे पलड़े पर शिबि ने अपनी जाँघ का मांस काटकर रख दिया। लेकिन तराजू ज़रा भी नहीं हिला। इसके बाद शिबि अपने शरीर के अलग-अलग हिस्सों से मांस काटकर तराजू पर चढ़ाते गए लेकिन तब भी पलड़े को हिलता न देख शिबि खुद तराजू पर चढ़ गए। उन्हें ऐसा करते देख बाज और कबूतर अपने असली रूप में आ गए। शिबि के सारे घाव भी गायब हो गए। वे दोनों दरअसल इंद्र और अग्नि थे, जो उनकी कर्तव्यनिष्ठा की परीक्षा लेने आए थे और शिबि ने इसमें खरा उतरकर स्वर्ग में अपना स्थान बना लिया।
     दोस्तो, क्या बात है! एक दृढ़निश्चयी और अपनी बात एवं व्यक्तित्व का धनी व्यक्ति ही ऐसा कर सकता है। जो कह दिया सो कह दिया। फिर तो अपने कहे को पूरा करना ही है फिर कर्तव्य पालन के लिए चाहे कितनी ही बड़ी विपत्तियों का सामना क्यों न करना पड़े। हर विपत्ति दरअसल आपकी परीक्षा लेने आती है। यदि आप इस परीक्षा में पास हो जाते हैं यानी अपनी बात से डिगते नहीं हैं, तो आपको सफलता अवश्य मिलती है। शिबि की तरह आपको भी यदि किसी कबूतर की जान बचाने के लिए अपने शरीर का मांस काटकर देना पड़े, तो देंगे ना? सोच में पड़ गए। हम यहाँ बात कर रहे हैं आपके कबूतर यानी आपके दिल की। यदि उसे बचाने के लिए आपको अपना मांस काटकर देना पड़े तो क्या करेंगे? तैयार हो जाएँगे न मांस देने के लिए। कैसे नहीं होंगे। आपको देना ही पड़ेगा। आँकड़े बताते हैं कि मोटे लोगों को हार्ट अटैक की आशंका अधिक होती है, फिर भले ही उनकी उम्र कुछ भी हो। ऐसे में यदि आप अपने हार्ट को यमराज रूपी बाजक की चपेट से बचाना चाहते हैं तो उन्हें अपने शरीर का मांस देना ही होगा। हाँ देने का तरीका बदल जाएगा। आपको अपना मांस नहीं काटना होगा, अपना तेल निकालना होगा यानी अपने शरीर की चर्बी को गलाना होगा। और यह होगा नियमित व्यायाम और संतुलित भोजन करने से। यदि आप अपने वजन को निंयत्रित करने में कामयाब हो गए तो फिर आपके कबूतर को कोई खतरा नहीं रहेगा। तो फिर तैयार हैं न आप आज से यह सब करने के लिऐ? "हेल्दी वेट, हेल्दी शेप' यानी स्वस्थ वजन स्वस्थ डील डौल। सही तो है, यदि वजन ठीक रहेगा तो व्यक्तित्व भी आकर्षक लगेगा। वजन कम रहने से आपके शरीर में फुर्ती भी रहेगी। और फुर्ती रहेगी तो आपकी कार्य क्षमता भी बढ़ेगी जो आपको सफलता दिलाएगी। यानी आप भी शिबि की तरह अपने शरीर का मांस देंगे तो आपको भी मिलेंगे स्वर्ग जैसे सुख। तो तैयार हैं न आप भी अपना तेल निकालने-- हमारा मतलब है व्यायाम के ज़रिये अपना वजन कम करने के लिए।

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