Friday, January 8, 2016

15.01.2016 स्वावलम्बी बनो यानी अपना काम खुद करो


     एक बार मनोज नाम का एक व्यक्ति अपने दोस्त राजेश से मिलने शहर आया। दोनों कॉलेज तक साथ पढ़े थे। पढ़ाई के बाद राजेश शहर में आ गया और यहाँ उसने एक छोटे से व्यवसाय से शुरुआत कर कुछ ही वर्षों में एक बड़ा व्यावसायिक साम्राज्य स्थापित कर लिया। उसकी गिनती शहर के धनाढ¬ों में होती थी। शहर की सबसे महँगी कॉलोनी में उसका बहुत बड़ा बंगला था। आज के जमाने की सभी भौतिक सुविधाएँ उसके बंगले में उपलब्ध थीं।
     मनोज जब राजेश के बंगले पर पहुँचा तो रात बहुत हो चुकी थी। वह सोच रहा था कि शायद इतना बड़ा आदमी बनने के बाद उसका दोस्त उसे पहचानेगा या नहीं? लेकिन गार्ड के माध्यम से जब सूचना अंदर पहुँची तो आदेश आया कि उसे ससम्मान अंदर लाया जाए। जब वह अंदर पहुँचा तो देखा कि उसका दोस्त राजेश द्वार पर खड़ा उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। राजेश ने बिना कोई औपचारिकता निभाए आगे बढ़कर उसे उसी तरह गले लगा लिया, जिस तरह से वह कॉलेज के जमाने में गले लगा लिया करता था। राजेश के इस तरह के व्यवहार से उसकी झिझक जाती रही और वे प्रसन्नता के साथ अंदर गए।
      इसके बाद दोनों बंगले के अंदर बने बड़े से हॉल में बैठकर बातें करने लगे। इस बीच उसे पता चला कि घर के लोग किसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शहर से बाहर गए हुए हैं। बातों ही बातों में उसने राजेश से पूछ लिया कि बाकी बातें तो होती रहेंगी, तू तो यह बता कि आखिर यह सब सफलता तुझे मिली कैसे? इस पर राजेश विनम्रता से बोला-पता नहीं यार, मुझे खुद समझ नहीं आता। लेकिन लोग कहते हैं कि मैं किस्मत का बहुत धनी हूँ। शायद वे सही हों। हालांकि मैं ऐसा नहीं समझता। इस पर मनोज तपाक से बोला- वे सही कहते हैं, मैं भी ऐसा ही सोच रहा था। मनोज की बात सुनकर राजेश धीरे से मुस्करा दिया। इसके बाद दोनों ने मिलकर खाना खाया। वहाँ कई नौकर-चाकर होने के बावजूद राजेश ने अपने मित्र को खुद ही खाना परोसा। इसके बाद वे दोनों गेस्ट रूम में आ गए। थोड़ी ही देर में एक नौकर कॉफी बना कर ले आया। राजेश उसे देखकर बड़े ही प्यार से बोला-रामू काका! बहुत रात हो गई है। अब आप लोग जाकर आराम करें। हमें बातें करते-करते देर हो जाएगी।
     इसके बाद राजेश ने आगे बढ़कर ट्रे उठाई और मनोज से कॉफी लेने का आग्रह किया। यह बात मनोज को ठीक नहीं लगी। वह बोला-क्यों तकलीफ करते हो राजेश, मैं खुद ले लेता हूँ। ऐसा कहते हुए वह जैसे ही कॉफी का कप उठा रहा था कि एक झटका लगा और कॉफी ज़मीन पर फैल गई। कुछ बूँदें मनोज के कपड़ों पर भी आ गिरीं। इस पर राजेश बोला-रूको, मैं भीगा कपड़ा लाकर इसे साफ कर देता हूँ, नहीं तो निशान पड़ जाएगा। मनोज ने कहा- परेशान मत हो, मैं खुद साफ कर लेता हूँ। राजेश ने उसे रोकते हुए कहा- नहीं यार, तुम हमारे मेहमान हो। तुम्हारी सेवा करना हमारा धर्म है। मनोज बोला-तो ठीक है, रामू को बुला लेते हैं।
     रामू काका को परेशान नहीं करते। वे अब सोने चले गए हैं। उन्हें जगाना ठीक नहीं। मैं लाता हूँ न एक मिनट में। ऐसा कहकर राजेश कमरे के बाहर जाकर भीगा कपड़ा और साथ में एक पानी की बोतल ले आया। उसने मनोज के कपड़ों पर और नीचे गिरी कॉफी को पोंछकर साफ कर दिया। इससे बाद वह मनोज से बोला- ये है तुुम्हारे लिए पानी की बोतल। रामू काका रखना भूल गए थे। तुम्हें रात में प्यास लगती तो? उसका यह व्यवहार मनोज की समझ से बाहर था। उसने राजेश से कहा-इतना छोटा सा काम तुम जैसे बड़े आदमी को करने की आवश्यकता क्या थी? घर में नौकर-चाकर किसलिए हैं? उसकी बात सुनकर राजेश बोला- क्यों, क्या पोंछा लगाने के बाद अब मैं बड़ा आदमी नहीं रहा। स्वावलंबी होना कोई बुरी बात तो नहीं? याद नहीं, सर कहते थे "स्वावलंबी बनो' इतने छोटे से काम के लिए किसी को नींद से जगाना कहाँ तक उचित है? सिर्फ इसलिए कि वे नौकर हैं। मैने जो किया उसमें मुझे कुछ गलत नहीं लगता। उसके इस उत्तर से मनोज को पता चल चुका था कि उसका दोस्त किस्मत का नहीं, व्यक्तित्व का धनी है जिसकी वजह से आज वह इस ऊँचाई पर पहुँचा है।
     बहुत बढ़िया। राजेश वाकई हर दृष्टि से धनी आदमी है, धन से भी, किस्मत से भी और व्यक्तित्व से भी। स्वावलंबन की भावना उसमें कूट-कूटकर भरी है। साथ ही सफलता के लिए आवश्यक अन्य गुण जैसे बड़प्पन, सह्मदयता, समदृष्टि और संयमित वाणी, अतिथि सत्कार, मित्रता निभाना आदि। उसके इन गुणों का अहसास आपको कहानी पढ़ने के दौरान विभिन्न अवसरों पर हो गया होगा।
     यदि आप भी राजेश की तरह सफल होना चाहते हैं तो इसके लिए हम उसके सर का दिया हुआ "मंत्र' यहां दोहराते हैं कि "स्वावलंबी बनो' यानी अपना काम खुद करो। आप न सिर्फ इस मंत्र को दोहराएँ, बल्कि राजेश की तरह ही आचरण में भी लाएँ। यह आवश्यक है, क्योंकि मंत्र को सुना तो मनोज ने भी था, लेकिन उसने इसे अपने आचरण में नहीं उतारा जिसके कारण वह सफलता की दौड़ में पिछड़ गया। अतः आप इसे अपने अंदर उतारें और फिर देखें इस मंत्र का कमाल!

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