Friday, January 8, 2016

13.01.2016 सफलता के लिए प्राथमिकताओं का सही निर्धारण ज़रूरी


     एक बार एक शिक्षक से अपनी शिक्षा पूर्ण करने जा रहे विद्यार्थियों ने "जीवन की प्राथमिकताएं और उनके निर्धारण' पर मार्गदर्शन देने का आग्रह किया। शिक्षक ने सभी विद्यार्थियों के अनुरोध को देखते हुए आगामी कक्षा में इस विषय पर मार्गदर्शन का वादा किया। अगले दिन जब शिक्षक कक्षा में आए तो वे अपने साथ काँच का एक मर्तबान और कुछ डिब्बे लेकर आए। सभी छात्र बड़ी उत्सुकता से उनकी ओर देख रहे थे। शिक्षक ने मर्तबान को सामने रखा और एक डिब्बे को खोलकर उसमें रखे बड़े आकार के आँवले मर्तबान में डालने लगे। इसके बाद उन्होने छात्रों से कहा कि मेरे ख्याल से यह मर्तबान अब पूरा भर गया है। उनकी इस बात पर सभी छात्रों ने सहमति जताई।
     शिक्षक ने दूसरा डिब्बा खोला। उस डिब्बे में छोटे आकार के बेर थे। उन्होने मर्तबान को हिलाते हुए बेर उसमें भर दिए। एक स्थिति ऐसी आई कि मर्तबान में और बेर नहीं भरे जा सकते थे, तो उन्होने छात्रों से पूछा कि अब क्या कहते हो? एक छात्र खड़ा हुआ और बोला कि यह अब पूरी तरह भर गया है, इसमें और कुछ नहीं भरा जा सकता।
     छात्र की बात सुनने के बाद शिक्षक ने तीसरा डिब्बा खोला। उसमें राई थी। शिक्षक राई के दाने मुट्ठी में भरकर मर्तबान में डालने लगे। साथ-साथ वे मर्तबान को हिलाते भी जा रहे थे, ताकि आँवले और बेर के बीच शेष स्थान में राई समा सके। छात्र देख रहे थे कि जिस मर्तबान को वे भरा समझ रहे थे, उसमें तो काफी मात्रा में राई भी आ गई है। जब मर्तबान राई से पूरी तरह ठसाठस भर गया तो शिक्षक ने छात्रों से पुनः पूछा कि अब क्या कहते हो?
     एक छात्र खड़ा हुआ और बोला- गुरु जी! अब तो इसमें कुछ भी नहीं भरा जा सकता। यह मर्तबान अब पूरी तरह से भर चुका है। शिक्षक ने छात्र की बात पूरी होते ही पास में रखे बैग में से एक बोतल निकाली। उसमें तेल भरा हुआ था। शिक्षक ने बोतल का तेल मर्तबान में उड़ेलना शुरु किया और देखते-देखते मर्तबान में बहुत सारा तेल समा गया और वह पूरा भर गया। इससे पहले कि शिक्षक छात्रों से प्रश्न करते, पूरी कक्षा ठहाकों से भर गई। शिक्षक ने सभी को शांत करते हुए पूछा कि अब क्या कहते हो? प्रश्न का उत्तर देने के लिए कोई भी विद्यार्थी तैयार नहीं हुआ। अब कोई भी गलत साबित होना नहीं चाहता था। लेकिन इस बार शिक्षक ने कहा कि हाँ, अब यह मर्तबान पूरी तरह भर चुका है। इसमें अब और कुछ समाने की गुंजाइश नहीं है।
     तत्पश्चात् शिक्षक ने कहा, यह मर्तबान क्या है? यह प्रतीक है आपके जीवन का। आँवले हैं आपके जीवन की सर्वोच्च प्राथमिकताएँ। जैसे कि आपका परिवार, आपके बच्चे, आपका स्वास्थ्य, आपके मित्र, आपका ईश्वर, आपके संस्कार और आपके जीवन की वे सभी बातें, जबकि समय के साथ सब कुछ पीछे छूटता जाए, तो भी आप उन्हें नहीं भूलते और न भूलाना चाहते हैं।
     बेर के रूप में हैं आपके जीवन की दूसरी प्राथमिकताएँ। जैसे आपका कॅरियर, आपकी नौकरी, आपका घर, संपत्ति आदि। और राई जीवन की छोटी-छोटी ज़रूरतों, खुशियों, भावनाओं आदि का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो प्राथमिकताओं में सबसे नीचे हैं और जिनके होने या न होने से भी आपके जीवन में विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।
     आज के प्रतिस्पर्धा के युग में हम सभी शायद अपने मर्तबान को राई से भर रहे हैं और दुःखी हो रहे हैं। इसलिए जब हम जीवन की आँवला रूपी सर्वोच्च प्राथमिकताओं का ध्यान रखेंगे तो इससे प्राप्त होने वाला विटामिन "सी' (प्रसन्नता, आत्मविश्वास आदि) हमारे जीवन की द्वितीयक प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करेगा। वैसे भी जब आप घर में खुश रहेंगे, तो अपनी नौकरी या व्यवसाय में भी मन लगाकर काम करते हुए सफलता प्राप्त कर सकेंगे। तो मुझे आशा है कि आप सभी को जीवन की प्राथमिकताएँ निर्धारित करने अब कोई परेशानी नहीं होगी। ऐसा कहकर जैसे ही शिक्षक ने अपनी बात खत्म करना चाही, तो एक विद्यार्थी खड़ा होकर बोला कि गुरु जी! तेल का मतलब तो आपने बताया ही नहीं।
     शिक्षक बोले-बहुत अच्छा, मैं जानना चाहता था कि आप मेरी बात ध्यान से सुन रहे हैं या नहीं। और आप सुन रहे हैं यानी आपने कानों में तेल डाला हुआ है। सभी विद्यार्थी एक बार फिर जोर से हँस दिए। फिर वे गंभीर होकर बोले कि तेल इस बात का प्रतीक है कि आप चाहे जितने भी व्यस्त रहें, आप ठहाका लगाकर हँसने का समय हर हालत में निकाल सकते हैं। इसमें आपको हर तरह की निराशा से उबारने की अद्भुत क्षमता होती है।
     छात्रों को अपने प्रश्न का उत्तर मिल चुका था कि हम सभी को प्राथमिकताओं का सही निर्धारण ही व्यक्ति को जीवन में सफल बनाता है।

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